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पौराणिक कहानियां


भगवान कृष्ण के नाम की महिमा, 


वृंदावन (vrindavan) की एक गोपी रोज दूध दही बेचने मथुरा (Mathura) जाती थी। एक दिन ब्रज में एक संत (sant) आये, गोपी भी कथा (story) सुनने गई। संत कथा में कह रहे थे-  भगवान (bhagwan) के नाम की बड़ी महिमा है, उनके नाम से बड़े बड़े संकट (problems) भी टल जाते है।
प्रभु का नाम तो भव सागर से तारने वाला है। यदि भव सागर से पार होना है तो भगवान का नाम (name of god) कभी मत छोडना। 
कथा समाप्त हुई गोपी अगले दिन फिर दूध दही बेचने (selling milk and curd) चली। बीच में यमुना जी थी। गोपी को संत की बात याद (remember) आई, संत ने कहा था भगवान का नाम तो भवसागर (bhavsagar) से पार लगाने वाला है। गोपी ने सोचा, जिस भगवान का नाम भव सागर से पार लगा सकता है तो क्या उन्ही भगवान का नाम (name of bhagwan) मुझे इस साधारण सी नदी (river) से पार नहीं लगा सकता ?

ऐसा सोचकर गोपी (gopi) ने मन में भगवान के नाम का आश्रय लिया और भोली भाली गोपी यमुना जी (Yamuna ji) की ओर आगे बढ़ गई। अब जैसे ही यमुना जी में पैर रखा तो लगा मानो जमीन (walking on land) पर चल रही है और ऐसे ही सारी नदी पार कर गई। पार पहुँचकर बड़ी प्रसन्न (happy) हुई और मन में सोचने लगी कि संत ने तो ये बड़ा अच्छा तरीका (good way) बताया पार जाने का। रोज-रोज नाविक को भी पैसे (no need to give money) नहीं देने पड़ेगे।
एक दिन गोपी ने सोचा कि संत ने मेरा इतना भला (help) किया मुझे उन्हें खाने पर बुलाना चाहिये। अगले दिन गोपी जब दही (curd) बेचने गई, तब संत से घर में भोजन (invite) करने को कहा। संत तैयार हो गए। अब बीच में फिर यमुना नदी (Yamuna nadi) आई। संत नाविक (sailor) को बुलाने लगे तो गोपी बोली-  बाबा नाविक को क्यों बुला (calling) रहे है, हम ऐसे ही यमुना जी में चलेगे 
संत बोले-  गोपी ! कैसी बात करती हो, यमुना जी (Yamuna ji) को ऐसे ही कैसे पार करेगे ?  गोपी बोली-  बाबा ! आप ने ही तो रास्ता (way) बताया था। आपने कथा में कहा था कि भगवान के नाम का (help of the name of god) आश्रय लेकर भव सागर से पार हो सकते है। तो मैंने सोचा (I think) जब भव सागर से पार हो सकते है तो यमुना जी

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